Prashant kishor ने कांग्रेस पर बोला हमला कहा – अब दोबारा कभी कांग्रेस के साथ काम नहीं करूंगा

Prashant kishor ने कहा कांग्रेस खुद तो डूबेंगी साथ में मुझे भी डूबा देगी

चुनावी रणनीतिकार Prashant kishor ने कांग्रेस साधा निशाना कहा कांग्रेस डूब रही है और मुझे भी दबा देगी।

Prashant kishor

महज कुछ ही दिन हुए हैं जो अब कांग्रेस ने Prashant kishor के आइडिया को ठुकरा दिया था। जिसके बाद प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पार्टी से दरकिनार कर लिया और खुद की एक पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया। आपको बता दे कि प्रशांत किशोर ने जन स्वराज योजना की शुरुआत कर दी है जिसमें वह लगभग 3000 किलोमीटर तक पैदल यात्रा करेंगे बिहार में और इसके साथ ही कई लोगों से मिलेंगे भी। रणनीतिकार प्रशांत किशोर कभी कांग्रेस के रिवाइवल का प्लान तैयार करने वाले बने हुए थे आज उन्होंने ही कांग्रेस पर हमला बोल दिया है आपको बता दें कि प्रशांत किशोर अपने जन सुराज यात्रा पर निकले हुए हैं उन्होंने यह यात्रा वैशाली जिला से शुरू की है। वैशाली में जन सुराज यात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि कांग्रेस ने मेरा ट्रैक रिकार्ड खराब कर दिया है इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि अब जीवन में कभी भी कांग्रेस के साथ काम तो नहीं करेंगे उन्होंने कहा कांग्रेस ऐसी पार्टी है जो खुद सुधरती नहीं है वह खुद डूबेगी और साथ में मुझे भी डूबा देंगी। प्रशांत किशोर ने इस मौके पर यह भी बताया कि 2011 से लेकर 21 तक यानी कि 10 साल में चुनाव से जुड़े और  लड़े सिर्फ एक चुनाव हारे हैं।वो भी विधानसभा का जहां हम कांग्रेस के साथ हैं कांग्रेस के लिए मन में बहुत सम्मान है लेकिन कभी उसके साथ अब मैं काम नहीं करूंगा। इसके साथ चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा  कॉल किया था कि 2015 में बिहार में महागठबंधन का चुनाव उन्होंने ही तो आया था साथ ही 2017 में पंजाब का चुनाव जीते थे 2019 में जगन मोहन रेड्डी के साथ आंध्र का भी चुनाव जीते थे 2020 में दिल्ली में केजरीवाल को उन्होंने जिताया था। उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ एक ही चुनाव हारा वह भी जब मैं कांग्रेस के साथ था कांग्रेस खुद के अंदर आंतरिक बदलाव नहीं करना चाहती है और जिसके सपने देख रही है। मैं अब कभी दोबारा कांग्रेस के साथ काम नहीं करूंगा। इससे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस का भविष्य खतरे में अब देखना आगे काफी दिलचस्प होगा कि कांग्रेस पार्टी की नैया कितनी दूर तक जा सकती है अपनी पुरानी नीति के सहारे।

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